Pitra Tarpan 2025: हिंदू धर्म में पूर्वजों की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यदि पितरों की आत्मा तृप्त न हो, तो जीवन में बाधाएँ, आर्थिक संकट और पारिवारिक कलह जैसी समस्याएँ आती हैं। ऐसे में Pitra Tarpan एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो न केवल पितरों की आत्मा को शांति देता है बल्कि वंशजों के जीवन में सुख-समृद्धि भी लाता है।
पितृ दोष और इसके लक्षण
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की इच्छाएँ अपूर्ण रह जाती हैं या उनका श्राद्ध विधिपूर्वक नहीं किया जाता। ज्योतिषीय दृष्टि से भी सूर्य, चंद्रमा, राहु-केतु या शनि के अशुभ प्रभाव से यह दोष बन सकता है।

पितृ दोष के मुख्य लक्षण हैं – विवाह में अड़चनें, संतान सुख की कमी, बार-बार आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएँ, परिवार में कलह और स्वप्न में बार-बार पितरों का दिखना।
Pitra Tarpan का महत्व
Pitra Tarpan केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शांति और कुल की उन्नति का मार्ग है। तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। माना जाता है कि इससे पितृ दोष दूर होता है और परिवार में शांति, संतान सुख और समृद्धि आती है।
Pitra Tarpan कब करें?
- पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष): 7 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक।
- अमावस्या: हर अमावस्या तिथि पर भी तर्पण किया जा सकता है।
- गंगा या पवित्र नदी के तट पर: यहाँ तर्पण करने से विशेष फल मिलता है।
- ग्रहण काल में: सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय तर्पण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
Pitra Tarpan की विधि
तर्पण से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। तांबे या पीतल के पात्र में शुद्ध जल, काला तिल, कुशा और पुष्प रखें। संकल्प लेकर जल में तिल और कुशा डालते हुए मंत्र “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” का उच्चारण करें और जल अर्पित करें।
इसके बाद जौ, चावल और तिल से पिंड बनाकर पितरों का आह्वान करें। ब्राह्मण को भोजन कराएँ, वस्त्र-दक्षिणा दें और जरूरतमंदों को अन्न दान करें।
Pitra Tarpan के नियम और सावधानियाँ
- तर्पण हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
- इस दिन मांसाहार और तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
- घर में सात्विक भोजन ही पकाना चाहिए।
- पूजा श्रद्धा और सच्चे भाव से करनी चाहिए, दिखावे से नहीं।
पितृ दोष निवारण के सरल उपाय
प्रतिदिन पितरों को जल अर्पित करना, अमावस्या पर दीपक जलाना, गीता पाठ और विष्णु सहस्रनाम का जाप करना पितृ दोष को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन व वस्त्र दान करना तथा पीपल या बरगद के नीचे दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।

पितृ पक्ष 2025 की तिथियाँ
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर (भाद्रपद पूर्णिमा) से होगी और 21 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या) को समाप्त होगी। यदि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना जाता है।
Pitra Tarpan पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। यह न केवल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है बल्कि परिवार को सुख, संतान-सुख और समृद्धि का आशीर्वाद भी देता है। इसलिए हर व्यक्ति को पितृ पक्ष में श्रद्धा और नियमपूर्वक तर्पण अवश्य करना चाहिए।
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